चुनावी तोहफा लाए हैं

भटनेर पोस्ट डिजिटल डेस्क. नई दिल्ली. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहाकि अब सालाना सात लाख तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। वित्त मंत्री की इस घोषणा का संसद में सभी सदस्यों ने मेज थपथपा कर स्वागत किया। टैक्स में छूट की डिमांड लंबे समय से की जा रही थी। इस बजट से पहले भी उम्मीद जताई जा रही थी कि लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार इनकम टैक्स में छूट की सीमा बढ़ाकर लोगों को बड़ी सौगात देगी। बजट को लेकर विशेषज्ञों द्वारा जताई जा रही यह उम्मीद सच साबित हुई। 
वित्त मंत्री ने टैक्स में छूट का ऐलान कर दिया है। इससे नौकरीपेशा लोगों में खुशी की लहर है। बजट भाषण के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अब 7 लाख रुपये तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। ये न्यू टैक्स रिजीम के तहत दी जाएगी। वित्त मंत्री की इस घोषणा से 8 करोड़ से ज्यादा टैक्स पेयर्स को फायदा होगा। मालूम हो कि 8 साल से टैक्स में कुछ नहीं बदला था। वित्त मंत्री ने कहा कि नए टैक्स प्रावधानों के तहत 0-3 लाख रुपये तक की इनकम तक कोई टैक्स नहीं लगेगा। 3-6 लाख रुपए तक 5 फीसदी टैक्स लगेगा। 6-9 लाख रुपए पर 10 फीसदी टैक्स और 9-12 लाख रुपए तक 15 फीसदी टैक्स अब से लगेगा। 15 लाख से ऊपर की इनकम पर आपको 30 फीसदी टैक्स लगेगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने महिलाओं और वरिष्ठ नागरिकों को बड़ी सौगात दी। महिला सम्मान बचत पत्र योजना शुरू करने का ऐलान किया गया। इसके अलावा किसानों, युवाओं और छात्रों के लिए बडे़ ऐलान किए गए. निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह अमृतकाल का पहला बजट है। उन्होंने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था सही दिशा में चल रही है और सुनहरे भविष्य की ओर अग्रसर है।
‘गरीब’ व ‘अल्पसंख्यक’ उपेक्षित
सीतारमण ने 38 पेज का भाषण 1 घंटे 27 मिनट में पढ़ा। उनके भाषण में इंडिया, नेशन और नेशनल का जिक्र 85 बार किया गया है। गरीब और मिडिल क्लास दो-दो बार बोला। एससी-एसटी 7 बार, ओबीसी 3 बार जबकि अल्पसंख्यक का कोई जिक्र नहीं है।
सप्तर्षि बजट का आधार
निर्मला सीतारमण ने बजट के सात आधार बताए। इन्हें सप्तर्षि कहा गया है। समावेशी विकास, वंचितों को वरीयता, बुनियादी ढांचे और निवेश, क्षमता विस्तार, हरित विकास, युवा शक्ति व वित्तीय क्षेत्र। वित्त मंत्री ने कहा कि अमृत काल का विजन तकनीक संचालित और ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था का निर्माण करना है। इसके लिए सरकारी फंडिंग और वित्तीय क्षेत्र से मदद ली जाएगी। इस ’जनभागीदारी’ के लिए ’सबका साथ, सबका प्रयास’ अनिवार्य है।
डिफेंस का जिक्र नहीं
चीन से तनातनी के बीच डिफेंस बजट में हथियारों की खरीद के लिए पिछले तीन साल में सबसे कम बढ़ोतरी हुई है। इस बार कैपिटल बजट महज 10 हजार करोड़ रुपए ही बढ़ा है। जो 2021 के मुकाबले करीब 12 फीसद कम है। डिफेंस बजट में सबसे ज्यादा रकम सैलरी बांटने के लिए मिली है। पिछले साल के मुकाबले करीब 16 फीसद ज्यादा। रिटायर्ड सैनिकों के लिए भी अच्छी खबर है। पेंशन बजट में 19 हजार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है। जो पिछले तीन साल में सबसे ज्यादा इजाफा है। अब डिफेंस बजट 5.93 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया है, जो कुल बजट का करीब 13 प्रतिशत है। पिछले साल भी डिफेंस बजट कुल बजट का 13 फीसद ही था। बड़ी बात यह है कि एक घंटा 25 मिनट के बजट भाषण में वित्त मंत्री ने एक बार भी डिफेंस का जिक्र नहीं किया। आर्मी के लिए इस बार रेवेन्यू बजट 1.8 लाख करोड़ रुपए है। पिछले साल रेवेन्यू बजट 1.6 लाख करोड़ रुपए था। यानी करीब 20 हजार करोड़ की बढ़ोतरी हुई है। इसमें अग्निपथ स्कीम के लिए 3800 करोड़ रुपए है। कैपिटल बजट में पिछले साल के मुकाबले करीब 5 हजार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन तीनों सेनाओं के लिहाज से आर्मी का कैपिटल बजट सबसे कम है। यानी आर्मी को हथियार खरीदने के लिए सबसे कम पैसे मिले हैं। नेवी के लिए इस साल कैपिटल बजट 52804 करोड़ रुपए है। पिछले साल के मुकाबले करीब 5 हजार करोड़ ज्यादा। यानी हथियारों की खरीद के लिए एयरफोर्स के बाद नेवी को सबसे ज्यादा बजट मिला है। माना जा रहा है कि सरकार आने वाले साल में समुद्री ताकत बढ़ाएगी। चीन से तनाव के बाद सरकार लगातार इस पर फोकस भी कर रही है। नेवी के लिए इस बार रेवेन्यू बजट 32 हजार करोड़ रुपए है। पिछले साल यह 25 हजार करोड़ रुपए था। इसमें अग्निपथ स्कीम के लिए 300 करोड़ रुपए है। इस साल एयरफोर्स के लिए रेवेन्यू बजट 44 हजार करोड़ रुपए है। यह पिछले साल की तुलना में 12 हजार करोड़ रुपए ज्यादा है। इसमें अग्निपथ स्कीम के लिए 166 करोड़ है। कैपिटल बजट की बात करें तो तीनों सेनाओं में सबसे ज्यादा अमाउंट एयरफोर्स को ही मिला है। पिछले साल कैपिटल बजट करीब 55 हजार करोड़ रुपए था, जो इस बार 57 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा पहुंच गया है।

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