....इस तरह शंकर सोनी बन गए ‘क्रांतिदूत’

बचपन में सशस्त्र क्रांति से जुड़े किस्से पढ़ने व सुनने का असर यह हुआ कि नौजवान होता यह शख्स ‘परिवर्तन का पैरोकार’ बन गया। रचनात्मकता से ओतप्रोत, कुशल प्रबंधन में माहिर व दक्ष नेतृत्व क्षमता की वजह से सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेने वाला यह व्यक्ति खुद एक संस्था बन गया। पढ़िए...शंकर सोनी के क्रांतिदूत बनने की कहानी....

गोपाल झा. 
क्रांति शब्द बदलाव का प्रतीक है। इस शब्द की खासियत है कि जिसके साथ जुड़ जाए, उसकी शख्सियत संवर जाए। एडवोकेट शंकर सोनी के साथ ऐसा ही है। राजस्थान के हनुमानगढ़ जिला मुख्यालय को कर्मस्थली बनाने वाले इस कानूनविद् को एक बड़ा तबका आदर के साथ देखता है। शंकर सोनी की गिनती कानून के लब्धप्रतिष्ठ विद्वान के तौर पर होती है। कानून की बारीकियों की समझ और निर्भीकता के साथ जब वे न्यायाधीश के सामने अपना पक्ष रखते हैं तो सामने वाले वकील के सामने कोई जवाब नहीं रहता। सारे तर्क अर्थहीन साबित होते हैं। इसलिए लोग मोटी फीस चुकाकर इन्हें अपना पैरोकार चुनते हैं। वकालत इनका पेशा है लेकिन वकालत के मार्फत ही ये पीड़ितों की पीड़ा को ‘छू मंतर’ करने का प्रयास भी करते हैं। वकालत पेशे को लेकर इनके कुछ उसूल हैं। मसलन, एडवोकेट शंकर सोनी जन हित से जुड़े प्रकरणों में परिवादी से फीस नहीं लेते। साथ ही वैवाहिक मामलों में महिला की निःशुल्क पैरवी करते हैं। इसमें भी शंकर सोनी व्यक्तिगत प्रयास करते हैं कि समझाइश के माध्यम से दोनों पक्ष का विवाद खत्म हो जाए लेकिन जब सभी प्रयास विफल हो जाते हैं तो वे विवाहिता का पक्ष लेकर कोर्ट में जिरह करते हैं। पूरी तरह निःशुल्क। परिचय: एडवोकेट शंकर सोनी का जन्म 1 मार्च 1954 को रावतसर में हुआ। माता श्रीमती तीजा देवी व पिता स्व. भीखमचंद महेश्वरी बच्चों की शिक्षा को लेकर जागरूक थे। प्रारंभिक शिक्षा रावतसर व नोहर में हासिल करने के बाद शंकर सोनी का हनुमानगढ़ टाउन स्थित फोर्ट स्कूल में दाखिला दिलाया गया जहां से उन्होंने दसवीं की परीक्षा पास की। वर्ष 1974 में एनएमपीजी कॉलेेज से ग्रेजुएट की डिग्री प्राप्त करने के बाद शंकर सोनी जयपुर चले गए। राजस्थान विश्वविद्यालय से उन्होंने लॉ की डिग्री हासिल की। वर्ष 1977 में एलएलबी की डिग्री हासिल कर हनुमानगढ़ लौट आए और 18 सितंबर 1977 से हनुमानगढ़ कोर्ट में वकालत करने लगे। हनुमानगढ़ बार संघ में अध्यक्ष सहित विभिन्न पदों पर निर्वाचित होकर वकीलों के हित में काम किया। वर्ष 1994 में जब हनुमानगढ़ जिला बना तोे उस वक्त बार संघ के अध्यक्ष एडवोकेट शंकर सोनी ही थे। वे हनुमानगढ़ जिला बनाओ संघर्ष समिति के संयोजक व पदेन सचिव रहेे। श्रीमती कमलेश महेश्वरी के साथ परिणय सूत्र में बंधे। शंकर सोनी की चार संतान हैं। सब के सब उच्च शिक्षित। बड़ेे बेटे अमित महेश्वरी बी.टेक, एलएलबी व सी.एस की डिग्री हासिल कर विभिन्न कंपनियों में सेवा दे चुके हैं। बहरहाल, हनुमानगढ़ नगरपरिषद में विधिक सलाहकार का दायित्व निभा रहे हैं। शंकर सोनी के छोटे बेटे जयदीप महेश्वरी भी एलएलबी, एलएलएम व सी.एस की डिग्री हासिल कर विभिन्न कंपनियों में सेवा दे चुके हैं। इस वक्त ‘हीरो’ कंपनी में लॉ ऑफिसर पद पर नियुक्त हैं। दोनों बेटियां क्रमशः मधु व दिव्या भी उच्च शिक्षित हैं। चारों संतान विवाहित हैं।
नागरिक सुरक्षा मंच का गठन: वकालत पेशे में आने के बाद शंकर सोनी ने नागरिक सुरक्षा मंच का गठन किया। इसमें उनके सहयोगी बने तत्कालीन सहायक अभियंता प्रहलाद सिंह शेखावत। जो बाद में जोधपुर डिस्कॉम में चीफ इंजीनियर पद से रिटायर हुए। शंकर सोनी कहते हैं, ‘अचानक एक दिन खयाल आया कि आजादी के बाद भी आम नागरिकों को इसका बखूबी अहसास नहीं हो पा रहा है। सरकारें अपनेे दायित्व के निर्वहन में सफल नहीं होे पा रही है। ऐसे में, उन्हें अदालत के माध्यम से न्याय व राहत दिलाने का प्रयास होना चाहिए।’ दूसरा लक्ष्य था सशस्त्र क्रांति से जुड़े ज्ञात-अज्ञात क्रांतिकारियों के बारे में आम जन तक जानकारी उपलब्ध करवाना जो नागरिक सुरक्षा मंच के माध्यम से संभव था। शंकर सोेनी मानते हैं कि आजादी के बाद सशस्त्र क्रांति से जुड़े क्रांतिकारियों को वह सम्मान न मिल पाया जिसके वे हकदार थे। हजारों क्रांतिकारियों ने बरसों तक संघर्ष किया। जेलों में यातनाएं सहीं। प्राणों की आहूति दीं। उन्हें पाठ्यक्रमों में शामिल नहीं किया गया। लिहाजा, मंच ने उन क्रांतिकारियों से जुड़ी घटनाओं व उनकी जीवनियों को एकत्रित किया। क्रांतिकारियों की जयंती व बलिदान दिवस पर कार्यक्रमोें की शुरुआत हुई। बच्चों के बीच भाषण व वाद-विवाद प्रतियोगिता, क्रांति ज्ञान प्रतियोगिता आदि शुरू करवाईं। बच्चों को मंच की तरफ से खास नोटबुक उपलब्ध करवाए जाने लगे जिसके मेन पेज पर क्रांतिकारियों के चित्र होते हैं और उनसे संबंधित स्लोगन व नारे लिखे हैं। मकसद एकमात्र यह कि बच्चे क्रांतिकारियों के बारे में जानकारी हासिल कर सकें और बाल मन में एक बात घर कर सके कि आजादी दिलाने में इन शहीदों का कितना बड़ा योगदान है। शहीदों के प्रति दीवानगी का असर है कि शंकर सोनी के घर शहीद ए आजम भगत सिंह के भांजे प्रो. जगमोहन, आजाद हिंद फौज के सिपाही कमरुद्दीन व अश्फाकउल्ला खान के पौत्र सहित अन्य क्रांतिकारियों के परिजन आते रहते हैं। खुद शंकर सोनी भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव के निवास स्थल पर मत्था टेक चुके हैं। 
चौक-चौराहों का रखरखाव व सौंदर्यकरण
नागरिक सुरक्षा मंच के संस्थापक शंकर सोनी बताते हैं कि मंच ने धीरे-धीरे अपने कार्यक्रमों को विस्तार दिया। विभिन्न चौक-चौराहों का नामकरण व शहीदों की मूर्तियां लगवाना व चौक का सौंदर्यकरण-रखरखाव का जिम्मा। तिलक सर्किल, सुभाष चौक, पटेल सर्किल व शहीद पार्क आदि प्रमाण हैं। कारवां यहीं नहीं रुका। मंच के प्रतिनिधि लगातार 35 सालों से हुसैनीवाला जाते हैं, जहां पर शहीद ए आजम भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव की समाधिस्थल है। आलम यह है कि अब हर साल 23 मार्च को बसों व अन्य वाहनों से शहर के लोग वहां पर जाते हैं। मंच की ओर से दो-तीन बसें व अन्य वाहन भी उपलब्ध करवाए जाते हैं। यह अलग बात है कि पहले शंकर सोनी ने अकेले जाकर शुरुआत की थी अब वे दल-बल के साथ पहुंचते हैं। 
सावधान’ ने दिलाई आम जन को राहत
नागरिक सुरक्षा मंच अब शहीदों व क्रांतिकारियों पर आधारित कार्यक्रम करने वाला संगठन बन चुका था। लिहाजा, आम जन से जुड़े मसलों को उठाने के लिए मंच की उपशाखा गठित करने का निर्णय किया गया जिसे नाम दिया ‘सावधान’। आम जन हित से जुड़े अदालत में उठाए जाने लगे। फिर तो कई इतिहास रचे गए। एडवोकेट शंकर सोनी कहते हैं, ‘आज बिजली कट व पानी की आपूर्ति को लेकर पूर्व सूचना प्रसारित होती है यह मंच के आदेश का प्रतिफल है। बिजली व जलदाय विभाग ने आम जन के पूछताछ को लेकर एक अलग से पूछताछ नंबर जारी किए। जिला अस्पताल में ‘सावधान’ के प्रयासों से ही ब्लड कंपोनेंट मशीन यूनिट की स्थापना हुई। निराश्रित पशुओं के नियंत्रण को लेकर अदालत ने आदेश पारित किए जिसका क्रियान्वयन अब तक लंबित है। नहरों में पंजाब से जहरीले पानी की आपूर्ति रोकने के लिए भी ‘सावधान’ ने अदालती लड़ाई लड़ी। इसमें पद्म श्री अवार्डी व मौजूदा राज्यसभा सदस्य संत बलवीर सिंचेवाल का भी सहयोग मिला। कोर्ट के आदेश पर शहर में नालियों व सड़कों की रिपेयरिंग होने लगी। लखूवाली हैड पर पुल की दीवारों की उंचाई बढ़ाई गई ताकि सुरक्षित तरीके से वाहनों की आवाजाही हो।
अन्ना आंदोलन में खास भूमिका 
जन लोेकपाल के गठन व भ्रष्टाचार के खिलाफ जब अन्ना हजारे ने आंदोलन शुरू किया तो हनुमानगढ़ में इसकी लौ जलाई शंकर सोनी ने। भगत सिंह चौक पर धरना दिया तो शहर के लोग उमड़ पड़े। फिर धरना को कलक्टर कार्यालय के सामने शिफ्ट किया। बाद में अन्ना हजारे का हनुमानगढ़ में कार्यक्रम करवाया। कार्यक्रम में बेहतरीन व्यवस्था से अन्ना हजारे बेहद प्रभावित हुए। उन्होंने नागरिक सुरक्षा मंच व शंकर सोनी की भूरि-भूरि प्रशंसा की। जब अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी पार्टी का गठन किया तो शंकर सोनी अपने साथियों सहित पार्टी मेें शामिल हो गए।

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