भादरा सीट हरियाणा सीमा से लगती है। वहां पर जनता का मिजाज हर बार बदलता रहता है। पिछले सात चुनाव परिणाम पर नजर दौड़ाएं तो इन 33 वर्षों में कभी किसी विधायक को रिपीट होने का मौका नहीं मिला। इस बीच, इस बार पिछले चुनाव से ज्यादा वोटिंग मौजूदा विधायक के लिए खतरे की घंटी बन सकती है। पिछले चुनाव में भादरा में 80.50 फीसद पोलिंग हुई थी जबकि इस बार 82.43 फीसद वोट पड़े। यही बढ़ी हुई 2 फीसद पोलिंग चुनाव परिणाम को प्रभावित करेगी, ऐसा माना जा रहा है।
भाजपा के संजीव बेनीवाल शुरू से मजबूत प्रत्याशी के तौर पर सामने आए तो विधायक बलवान पूनिया भी। हां, पूनिया के खिलाफ कुछ आरोप इस बार चुनावी फिजां में तैरते नजर आए। इससे उनको नुकसान होगा, इसमें दो राय नहीं। कांग्रेस प्रत्याशी महज उपस्थिति दर्ज करने के लिए होंगे, ऐसा कहा जा रहा है। इसकी बड़ी वजह कांग्रेस नेताओं को बहुत पहले बलवान पूनिया खेमे में शिफ्ट होने को माना जा रहा है। खास बात है कि भादरा में कांटे का मुकाबला है, परिणाम भाजपा और माकपा में से किसी के पक्ष में जा सकता है।
0 Comments